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I am a common man full of complexities. I am an idiot son, lucky husband, proud father and poor earner. No body can understand me and no body is able to convince me. I am a single piece on this earth. I do, what I like.

Sunday, December 19, 2010

WHAT IS REAL DEATH?

Near-death experiences

WHAT IS REAL DEATH?



Not to study the Gita, Upanishads, daily,
Not to remember God at all times,
Not to serve Sadhus and Gurus,
Is real death.


Not to have equal vision,
Not to have balanced mind,
Not to have Atma-Drishti,
Is real death.

Not to have Brahma-Jnana,
Not to have a large heart,
Not to do charitable acts,
Is real death.


To identify oneself with the body,
To forget one’s divine nature,
To live aimlessly,
Is real death.






To eat, drink and be merry,
To waste the time uselessly,
To lose one’s honour and name,
Is real death.






To gamble and play cards,
To read novels, drink and smoke,
To gossip, cavil and scandalise,
Is real death.

To backbite, revile, carry tales,
To speak ill of others,
To cheat, falsify and dupe,
Is real death.






To earn money unlawfully,
To outrage others’ women,
To injure others,
Is real death.


To lead a sensual life,
To waste vital energy,
To have a lustful look,
Is real death.

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Wednesday, October 6, 2010

सोने का सच

सोने का सच
सोना सदिओं से पुरे विश्व में एक बहुमूल्य धातु रहा है. सोना पूंजी निवेश का भी एक अच्छा माध्यम है. भारत, पुरे विश्व में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. औसत भारतीय नारियों को विद्यमान वस्तुओं में से सोने के प्रति सबसे ज्यादा लगाव और चाहत है. सोने का रसायनिक सच तो विज्ञानं की किताबों में दर्ज है, परन्तु कुछ व्यावहारिक सच भी जानना जरुरी है.

सोना तक़रीबन सभी धातुओं के साथ मिलकर मिश्रधातु का निर्माण करता  है और अपने सुनहरे चमक को सदैव  बनाये रखता है. सोने की मुलायमियत (Miliability) और लचीलापन (फ्लेक्सिबिलिटी) तो कमाल की है. सोना सामान्य वातावरण में हमेशा अपरिवर्तनशील और उदासीन रहता  है. मानव शारीर से निकालने वाली रसायनों एवं अन्य उत्तसर्जित पदार्थो के प्रति भी उदासीन रहता  है. सोने के इसी गुण के कारण आभूषण निर्माण के लिए यह सबसे उपयुक्त धातु माना गया है.

सबसे मत्वपूर्ण  बात सोने की गुणवता और उसकी शुद्धता होती है. सोने को बड़ी आसानी के साथ अशुद्ध बनाया जा सकता है. सोने की चमक देखकर उसकी शुद्धता नहीं बताई जा सकती. सोना ज्यों-ज्यों अपनी शुद्धता खोती है, उसकी कीमत घटती जाती है. यह तो सभी जानतें हैं की सोने की शुद्धता उसमें अन्य धातुओं की मिलावट की वजह से कम  होती है. मिलावट की मात्रा जितनी ज्यादा होगी उसकी शुद्धता उतनी ही घटती जाएगी.

चौबीस कैरेट का सोना बिलकुल सौ फीसदी शुद्ध सोना होता है. आजकल २४ कैरेट सोने के आभूषण भी बनने लगें है, परन्तु साधारणतया २२ अथवा १८ कैरेट के सोने का ही आभूषण बनाया जाता है. पहले सोने का कोई मानक नहीं था. परन्तु अब भारतीय मानक संस्थान (बी आइ एस) ने स्वर्णाभूषणों के लिए मानक निर्धारित कर दिया है. २४ कैरेट के स्वर्णाभूषणों  के लिए ९९.९%, २२ कैरेट के स्वर्णाभूषणों के लिए ९१.६% एवं १८ कैरेट के स्वर्णाभूषणों के लिए ७५% सोने की शुद्धता होनी आवश्यक है.

सोने की शुद्धता की पहचान के लिए हालमार्क किये जातें है. मगर इस हालमार्क के ऊपर भरोसा करना, महंगा भी साबित हो सकता है. जिन प्रयोगशालाओं में हालमार्क किये जाते है, उनमे अधिकांश की कार्यप्रणाली वैज्ञानिक नियमों के अनुसार नहीं चल रही है और ऊपर से गोरखधंधा अलग से चल रहा है.

सोनें की जाँच के लिए उपकरण विदेशों से मंगाए जातें हैं और ये उपकरण बड़े ही महगे और जटिल एवं संवेदनशील shoftwere पर आधारित होतें है. इसके बावजूद इन उपकरणों के माध्यम से प्राप्त गणनाओं की प्रमाणिकता हमेशा ही शक के दायरे में रहती है. सोनें के शुद्धता की जाँच के लिए सबसे प्रमाणिक विधि उसकी अग्निपरीक्षा ही मानी जाती है. जाँच की यह वैज्ञानिक प्रक्रिया मंहगी और लम्बी होती है, जिसे पूरा करने में  आठ से दस  घंटे का समय लगता है. मगर  अग्निपरीक्षा विधि से जाँच किये गए सोने की शुद्धता हमेशा हीं प्रमाणिक और अपरिवर्तनीय होती है.

बाजार में अब कई ऐसे मिश्रधातु आ गए हैं जिसकी चमक और टिकाऊ-पन सोने जैसी नहीं तो उससे मिलती जुलती अवश्य  होती है. स्वर्णाभूषणों   में ऐसे भी धातुओं का उपयोग किया जा रहा है जिसकी चमक बिलकुल हीं सोने जैसी हीं होती है और लम्बे समय तक टिकाऊ भी होती है. आजकल तो स्वर्णाभूषणों के बाजार में  धड़ल्ले  से इन धातुओं का उपयोग हो रहा है और इनको असली सोना बोलकर बेचा जा रहा है.

सोने की कीमत आज आसमान छूती जा रही है. सोने की कीमत में यह उछाल भारतीय कारकों की वजह से नहीं हो रहा है. अंतरास्ट्रीय विनिवेश एवं मुद्रे की गिरती कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाये गए कदमों की वजह से सोने की कीमत ऊपर जा रही है.  एक समय आयेगा जब यह २० हजार प्रति दस ग्राम पर स्थिर हो जायेगा और बहुत दिनों तक पुनः स्थिर रहेगा.

विकसित देशों में आई आर्थिक मंदी और कई बैंकों की दिवालियेपन की वजह से निवेशकों का रुझान सोने में ही विनिवेश करने का हो गया और सोने की मांग विश्व बाजार में बढ़ गई. जिस वजह से सोने की कीमतें आसमान छूने लगी.

सोने और चांदी की माया अभी आसमान छू रही है. इसी आसमान छुते माया की वजह से कई लोग मालामाल हो गए हैं और कई लोग मालामाल होने की जुगत में लगे है.











Friday, October 1, 2010

मजहब हीं है सिखाता, आपस में बैर रखना



मजहब हीं है सिखाता, आपस में बैर रखना

अयोध्या का बिवाद अब  एक मजहबी बिवाद बन गया है. बाबरी मस्जिद के गिराए जाने से पहले तक यह बिवाद एक राजनैतिक बिवाद हुआ करता  था.

इस बिवाद के बीच में  नेताओं के आ जाने से पहले तक यह एक जमीन के मिलकीयत का बिवाद मात्र था.जमीन के एक टुकड़े का बिवाद अब धार्मिक बिवाद बन गया है.

ऐसा भी नहीं है कि धर्मों  के बीच यह पहला बिवाद है. जितने भी धर्मं इस धरती पर हैं, सबों का बुनियादी स्तित्व बिवादों पर ही टीका है. सभी धर्मों का मूल आधार उसकी  मान्यताएं और उसे मानने वालों क़ी जीवन शैली  हीं है. सभी  मान्यताएं बिवादित और अप्रासंगिक है.


सभी धर्म अपनी-अपनी मान्यताओं को पीढ़ी दर पीढ़ी वगैर किसी परिशोधन और परीसंशकरण के ढोते चलें आ रहें है. सभी धर्मों की स्थापना किसी ना किसी आत्मज्ञानी महापुरुष के द्वारा की गयी थी. अब ना तो वे आत्मज्ञानी महापुरुष रहे और ना हीं उनका आत्मज्ञान रहा. जिस काल में मुख्य धर्मों की स्थापना हुई थी उस काल से आजतक सबकुछ बदल गया, लेकिन धर्मों की मान्यताएं  नहीं बदली. 


धर्म के ठेकेदारों की दलील  है कि सत्य नहीं बदलता और धर्मं भी एक सत्य है, इसलिए इसकी मान्यतान्यें भी नहीं बदलने दी जाएँगी.  ठीक है, मूल सत्य कभी  नहीं बदलता. लेकिन मूल सत्य से बनी हुई सारी चीजें परिवर्तनशील और बदलने वाली है. धर्म कि स्थापना भी मूल सत्यों के आधार पर हुई थी. हमारा धर्म मूल सत्य नहीं है. मूल सत्य एक ही होता है और धर्म कई हैं. इसलिए धर्मं भी समय के साथ परिवर्तनशील है और रहेगा. मूल सत्य नहीं बदलेगा, परन्तु धर्म तो हमेशा बदलता रहेगा, उसके रूप, नाम और गुण बदलतें रहेंगे. इश्वर के आलावा कुछ भी निर्गुण नहीं. धर्म भी नहीं. जब निर्गुण नहीं मतलब परिवर्तनशील है.


अगर आज हमने अपने-अपने धर्मिक मान्यताओं को लचीला और समयानुकूल नहीं बनने दिया तो धर्मों के बीच  बिवाद बढ़ते रहेंगे. आज राम जन्म भूमि को लेकर झगड़ा हो रहा है, क़ल राम के जन्म को हीं लेकर झगड़ा होगा और परसों राम को ही लेकर झगड़ा होने लगेगा.


हर कोई यह जानता है कि राम ना तो अयोध्या में है, ना हीं कावा में. वे तो आस्थावानों के ह्रदय और आस्था  में विराजमान हैं. राम जन्म भूमि को आस्था का विषय बताया गया है जो कि गलत हीं नहीं हिन्दू धर्म कि मान्यताओं के भी खिलाफ है. हिन्दू धर्म कि मान्यताओं के अनुसार, राम अचर, अगोचर, सर्वज्ञ, सर्व-विद्यमान और सर्वमान्य हैं. इन मान्यताओं को तो सबों ने छोड़ दिया, परन्तु राम के जन्म स्थल कि आस्था को पकड़ कर बैठे है.


सबों ने पढ़ा है कि राम अयोध्या में जन्में थे. परन्तु वे केवल जन्में ही नहीं थे, उन्होंने अपने जीवन काल में और भी बहुत कुछ किया था. उनकी सारी जीवन लीला हिन्दू धर्म के मान्यताओं से जुडी है. फिर हम अन्य मान्यताओं को क्यों नहीं पकड़ कर बैठे है. असल बात यह है कि राम को तो हमने छोड़ दिया है, अब केवल उनके स्मृति स्थलों को पकड़ कर बैठें हैं. अब राम हमारी आस्थाओं में नहीं, जमीन, जायजाद और संपदाओं में बस गएँ हैं.


सवाल है, राम को किसने देखा? राम अयोध्या में हीं जन्मे, इसका भी कोई साबुत कोर्ट को नहीं मिला. पुरातत्वा विभाग को भी नहीं मिला. तो फिर राम कहाँ जन्मे ?


जबाब है, राम हमारे दिलों में जन्मे, वे हमारी आस्था और विश्वाश में बसे हैं. राम को किसी जन्म स्थल या मंदिर कि जरुरत नहीं है. राम कल भी थे, आज भी है और हमेशा रहेंगे. राम केवल हिन्दू धर्म के धरोहर नहीं है.

राम तो करोडो हिन्दुस्तानियों के मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. राम केवल हिन्दुओं के नहीं, वे तो सभी धर्मों के राम है. राम नाम नहीं. राम तो परम सत्य हैं जिसपर सबों का अधिकार है. राम को जन्म लेने क़ी या मरनें क़ी जरुरत नहीं होती.


केवल अयोध्या की जन्म स्थली हीं नहीं, यह पूरा जगत, पूरा ब्रह्माण्ड राम का है. हम भी राम के है. तुम भी राम के हो. हिन्दू भी राम के और मुस्लमान भी राम के हीं है. ये धर्म के ठेकेदार भी राम के है. यह धर्म भी राम का हीं है. ये झगड्नेवाले भी राम के है. फिर भी ये राम के नाम पर आपस में झगड़ा करतें हैं.


सवाल यह है कि झगडा हो क्यों रहा है ? जब सब कुछ राम का है तो फिर झगडा क्यों हो रहा है? 


जबाब है कि झगड़ने वालों के दिल में अब राम नहीं रहे. वे तो राम और रहीम के नाम पर बस अपनी रोटियां सेंक रहें है. हमारे धर्मों कि मान्यतान्यें ही अब हमें आपस में बैर रखना सिखला रही है . एक धर्म कहता है कि यह जमीन मेरे राम कि है तो दूसरा धर्म यह कहता है यह जमीन मेरे अल्ला कि है. 


असली बात यह है कि ऐसा कहने वाले ना तो राम को जानते और ना ही अल्ला को मानतें है. वे तो बस राम और रहीम के नाम पर धर्मालंबियों को आपस में लड़ा रहें है और अपनी सियासत कि रोटिया सेंक रहें है.  

Tuesday, September 28, 2010

अनुलोम और विलोम


अनुलोम और विलोम

अनुलोम और विलोम दोनों एक ही सिक्के के दो अलग अलग पहलू हैं। प्रेम अगर प्यार है तो नफरत, घृणा है। लेकिन प्यार और नफरत दोनों एक ही श्रोत प्रेम से उत्त्पन्न हुए हैं। प्यार और नफरत दोनों ही स्थितियों में उत्त्पन्न भावनाओं का मूल श्रोत और उर्जा एक ही होती है। फर्क सिर्फ उस मूल श्रोत से उत्त्पन्न उर्जा की तीव्रता और दशा स्थिति का होता है।

हम अक्सर अनुलोम और विलोम दोनों को अलग-अलग रूप में देखने की गलती कर बैठतें हैं। मगर सच में दोनों एक ही है। बस केवल रूप अलग -अलग है।


दोस्ती अगर सकारात्मक है तो दुश्मनी नकारात्मक। मगर है दोनों एक ही। अगर हम दोस्ती को नहीं जानते तो दुश्मनी को भी नहीं जानते। दोस्ती और दुश्मनी दोनों भावों के अन्दर मौजूद उर्जा के मूल श्रोत एक हीं है। बस केवल दोनों की तीब्रता और दशा का अंतर है।

प्यार से ही नफरत उत्त्पन्न होता है और दोस्ती से हीं दुश्मनी भी उत्त्पन्न होती है। दोनों की उर्जाओं के मूल श्रोत एक ही है । बस केवल रूप अलग अलग है और इसी कारण हम दोनों भावों को अलग अलग रूप में देखतें है।

अगर प्यार नहीं होता तो नफरत भी नहीं होती । अगर दोस्ती नहीं होती तो दुश्मनी भी नहीं होती। जहाँ एक है वहां उसका विलोम भी रहेगा ही। देखते ही देखते कुछ कारकों की वजह से प्यार नफरत में और दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है। उसकी उर्जा और उर्जा के श्रोत तो वही होतें है बस उसकी तीब्रता और दशा बदल जाती है और इसे हम नजरअंदाज कर जातें है। फिर शुरू हो जाती है अशांति।

शांति और अशांति भी इसी तरह एक ही उर्जा के दो अलग अलग रूप है। लेकिन दोनों के स्वरुप और परिणाम में कितना अंतर है। शांति और अशांति दोनों ही स्थितियों में उर्जा के मूल श्रोत एक ही होतें है। बस कुछ कारकों की वजह से उस सामान उर्जा की तीब्रता और दशा में अंतर आ जाता है और सबकुछ उल्टा पुल्टा हो जाता है।

बस यही मूल उर्जा या शक्ति अलग -अलग कारको की वजह से इस माया जगत में श्रृष्टि और भावनाओं के अलग अलग खेल रचती रहती है और हम इसे अलग अलग समझ कर अपने आप को परेसान करतें रहतें है।

मानें या ना मानें, मगर यह जान लें की इस माया जगत में जो दीखता है वह सत्य नहीं है। हम केवल एक अधुरा सत्य देखतें है। इस अधूरे सत्य के पीछे छुपे उसे पुरे सत्य को नहीं देख पाते। अगर देख लें तो समझे, अब कुछ भी जानना शेष नहीं.

Monday, September 27, 2010

सत्य की सत्यता

सत्य की सत्यता


सत्य वो नहीं है, जो हम जानते है। सत्य वो है, जिसे हम नहीं जानते। सत्य जानने या पहचानने की चीज नहीं है। सत्य आत्मसात करने की चीज है।





सत्य केवल एक है और बाकी सब जो हम जानते है, सब उसीके अनेक रूप मात्र है। जिसने उस एक सत्य को जान लिया, वह सत्य के सभी रूपों को जान लेता है।





सत्य तक पहुंचा जा सकता है। वाकई यह संभव है। सत्य के बदलते रूपों को देखा जा सकता है। इस जगत में सबकुछ कैसे बदल रहा है और इन सारे बदलवो के पीछे के सत्य को हम जान सकतें है।





सत्य को जानने के लिए हमें अपने वजूद को मिटाना होगा। हमें अपने कुदरती रूप में वापस आना होगा। हमें वो सब कुछ भूल जाना होगा, जो हमने आजतक सिखा या जाना है।





जब हम अपने चित पर अंकित सारे भौतिक छाप को मिटा देंगे तो सत्य का स्वंयं उद्भव होगा और चित में परम सत्य का प्रकाश उदित होगा। सत्य का यह प्रकाश हमें सबकुछ स्पष्ट रूप से दिखने लगता है।





जब सत्य अपने पूर्ण स्वरुप में चित्स्थल पर उदित होता है तो हम इस माया जगत को जानने लागतें हैं। हमें यह मालूम होने लगता है की इस जगत में सबकुछ कैसे घटित हो रहा है।





सत्य को जान लेने के बाद यह मालूम हो जाता है की इस जगत में उत्पन्न सारे भौतिक किर्या कलाप और भावनाओं का मूल श्रोत एक ही है। इस जगत में मौजूद सारी उर्जा, उसके स्वरुप, उसके रूपांतरण और उसके द्वारा उत्पन्न भौतिक संरचनों की विस्तृत जानकारी हमें मिल जाती है। सत्य को जान लेने के बाद कुछ भी जानना शेष नहीं रह जाता।





जो हम जानते वह सत्य नहीं। सत्य तो वो है जिसे हम नहीं जानते।

सपने सजाते रहें


सपने सजाते रहें
जीवन में सपनों का एक अलग महत्व है। सपने जब सजतें हैं तो जीवन सजता है। सपने हीं सच बनतें है। सपनों की भी अपनी एक सच्चाई होती है। हकीकत के आधार पर बुने गए सपने, एक ना एक दिन हकीकत में जरुर बदल जातें है। सपनों का अधार अगर सच्चा है तो सपने भी अवश्य सच होतें हैं।

सोते में देखे सपनों का आधार अवश्य होता है, परन्तु उसका हकीकत से कोई लेना या देना नहीं होता। जागते में देखे गए सपनों को अगर हमने सजाना सीख लिया तो सपने अवश्य हीं सच होंगे। केवल सपने बुनने से काम नहीं चलता, उसे सजाना होता है।


ह़र बुने हुए सपने में एक उर्जा होती है। अगर उस बुने हुए सपने को सजाया गया तो उसकी उर्जा आकर लेती है और इस श्रृष्टि की सारी नियायतें मिलकर उसे हकीकत में रूपांतरित कर देती है। अगर सपना बुनने वाले की तमाम अन्तरंग भावनाओ से निरुपित हो तो उसे सजाना आसान होता है और उसके अन्दर मौजूत उसकी उर्जा अपने रूपांतरण के लिए बेचैन हो जाती है।


इस धरती पर जो कुछ भी सच है, वह किसी ना किसी का देखा गया सपना का ही रूपांतरित रूप हीं है। आधुनिक भाषा में जिसे हम योजना, परियोजना अथवा परिकल्पना कहतें है, वे सभी सजाये गए सपनें ही तो है।


बस सपने देखते रहिये और उसे सजाते रहिये, फिर देखिये कमाल आप जो चाहतें है, वही होगा।

Friday, September 24, 2010

Bhagwan बुध




भगवन बुद्ध


Given below are just few words or a couple of sentences, but they have a meaning that is deeper and far reaching। Just read them slowly to grasp the exact meaning।

“You can search throughout the entire universe for someone who is more deserving of your love and affection than you are yourself, and that person is not to be found anywhere। You, yourself, as much as anybody in the entire universe, deserve your love and affection.”

“Thousands of candles can be lit from a single candle, and the life of the candle will not be shortened. Happiness never decreases by being shared.”

“An idea that is developed and put into action is more important than an idea that exists only as an idea.”

“An insincere and evil friend is more to be feared than a wild beast; a wild beast may wound your body, but an evil friend will wound your mind.” “Three things cannot be long hidden: the sun, the moon, and the truth.”

“All that we are is the result of what we have thought. The mind is everything. What we think we become.”

“Peace comes from within. Do not seek it without.”

“To understand everything is to forgive everything”

“You will not be punished for your anger, you will be punished by your anger.”

“A dog is not considered a good dog because he is a good barker. A man is not considered a good man because he is a good talker.”

“Those who are free of resentful thoughts surely find peace.”

“However many holy words you read,However many you speak,What good will they do you If you do not act on upon them?”

“We are shaped by our thoughts; we become what we think. When the mind is pure, joy follows like a shadow that never leaves.”

“You cannot travel the path until you have become the path itself”

“An idea that is developed and put into action is more important than an idea that exists only as an idea.”

“When you realize how perfect everything is you will tilt your head back and laugh at the sky”

“A jug fills drop by drop.”

“The only real failure in life is not to be true to the best one knows.”

“Believe nothing, no matter where you read it, or who said it, no matter if I have said it, unless it agrees with your own reason and your own common sense.”

“Even death is not to be feared by one who has lived wisely.”

“There is nothing more dreadful than the habit of doubt. Doubt separates people. It is a poison that disintegrates friendships and breaks up pleasant relations. It is a thorn that irritates and hurts; it is a sword that kills.”

“The way is not in the sky. The way is in the heart.”

“Have compassion for all beings, rich and poor alike; each has their suffering. Some suffer too much, others too little.”

“Teach this triple truth to all: A generous heart, kind speech, and a life of service and compassion are the things which renew humanity.”

“The whole secret of existence is to have no fear. Never fear what will become of you, depend on no one. Only the moment you reject all help are you freed.”

“No one saves us but ourselves. No one can and no one may. We ourselves must walk the path.”

“There are only two mistakes one can make along the road to truth; not going all the way, and not starting.”

“Virtue is persecuted more by the wicked than it is loved by the good.”

“To be idle is a short road to death and to be diligent is a way of life; foolish people are idle, wise people are diligent.”

“The secret of health for both mind and body is not to mourn for the past, worry about the future, or anticipate troubles, but to live in the present moment wisely and earnestly.”

“Your work is to discover your work and then with all your heart to give yourself to it.”

“Work out your own salvation. Do not depend on others.”

“Do not believe in anything simply because you have heard it. Do not believe in anything simply because it is spoken and rumoured by many. Do not believe in anything simply because it is found written in your religious books. Do not believe in anything merely on the authority of your teachers and elders. Do not believe in traditions because they have been handed down for many generations. But after observation and analysis, when you find that anything agrees with reason and is conducive to the good and benefit of one and all, then accept it and live up to it.”

“To conquer oneself is a greater task than conquering others”

“Better than a thousand hollow words, is one word that brings peace.”

“He who loves 50 people has 50 woes; he who loves no one has no woes.”

“To keep the body in good health is a duty...otherwise we shall not be able to keep our mind strong and clear.”

“There has to be evil so that good can prove its purity above it.”

“Life is suffering.”

“Hatred does not cease through hatred at any time. Hatred ceases through love. This is an unalterable law.”

“Whatever words we utter should be chosen with care for people will hear them and be influenced by them for good or ill.”

“Every human being is the author of his own health or disease.”

“All things appear and disappear because of the concurrence of causes and conditions. Nothing ever exists entirely alone; everything is in relation to everything else.”

“All wrong-doing arises because of mind. If mind is transformed can wrong-doing remain?”

“Ambition is like love, impatient both of delays and rivals.”

“Better than a thousand hollow words, is one word that brings peace.”

“Chaos is inherent in all compounded things. Strive on with diligence.”

“The tongue like a sharp knife... Kills without drawing blood.”

“Do not dwell in the past, do not dream of the future, concentrate the mind on the present moment.”

“Do not overrate what you have received, nor envy others. He who envies others does not obtain peace of mind.”

“Every human being is the author of his own health or disease.”

“Hatred does not cease by hatred, but only by love; this is the eternal rule.”

“He is able who thinks he is able”

“He who experiences the unity of life sees his own Self in all beings, and all beings in his own Self, and looks on everything with an impartial eye.”

“Health is the greatest gift, contentment the greatest wealth, faithfulness the best relationship.”

“Holding on to anger is like grasping a hot coal with the intent of throwing it at someone else; you are the one who gets burned.”

“I do not believe in a fate that falls on men however they act; but I do believe in a fate that falls on them unless they act.”

“I never see what has been done; I only see what remains to be done.”

“In a controversy the instant we feel anger we have already ceased striving for the truth, and have begun striving for ourselves.”

“In the sky, there is no distinction of east and west; people create distinctions out of their own minds and then beleive them to be true. “

“It is a man's own mind, not his enemy or foe, that lures him to evil ways. “

“Just as treasures are uncovered from the earth, so virtue appears from good deeds, and wisdom appears from a pure and peaceful mind. To walk safely through the maze of human life, one needs the light of wisdom and the guidance of virtue.”

“On life's journey faith is nourishment, virtuous deeds are a shelter, wisdom is the light by day and right mindfulness is the protection by night. If a man lives a pure life, nothing can destroy him.”

“Teach this triple truth to all: A generous heart, kind speech, and a life of service and compassion are the things which renew humanity.”

“The foot feels the foot when it feels the ground.”

“The only real failure in life is not to be true to the best one knows.“

“The wise ones fashioned speech with their thought, sifting it as grain is sifted through a sieve.”

“Unity can only be manifested by the Binary. Unity itself and the idea of Unity are already two.”

“We are formed and molded by our thoughts. Those whose minds are shaped by selfless thoughts give joy when they speak or act. Joy follows them like a shadow that never leaves them.”