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I am a common man full of complexities. I am an idiot son, lucky husband, proud father and poor earner. No body can understand me and no body is able to convince me. I am a single piece on this earth. I do, what I like.

Wednesday, October 6, 2010

सोने का सच

सोने का सच
सोना सदिओं से पुरे विश्व में एक बहुमूल्य धातु रहा है. सोना पूंजी निवेश का भी एक अच्छा माध्यम है. भारत, पुरे विश्व में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. औसत भारतीय नारियों को विद्यमान वस्तुओं में से सोने के प्रति सबसे ज्यादा लगाव और चाहत है. सोने का रसायनिक सच तो विज्ञानं की किताबों में दर्ज है, परन्तु कुछ व्यावहारिक सच भी जानना जरुरी है.

सोना तक़रीबन सभी धातुओं के साथ मिलकर मिश्रधातु का निर्माण करता  है और अपने सुनहरे चमक को सदैव  बनाये रखता है. सोने की मुलायमियत (Miliability) और लचीलापन (फ्लेक्सिबिलिटी) तो कमाल की है. सोना सामान्य वातावरण में हमेशा अपरिवर्तनशील और उदासीन रहता  है. मानव शारीर से निकालने वाली रसायनों एवं अन्य उत्तसर्जित पदार्थो के प्रति भी उदासीन रहता  है. सोने के इसी गुण के कारण आभूषण निर्माण के लिए यह सबसे उपयुक्त धातु माना गया है.

सबसे मत्वपूर्ण  बात सोने की गुणवता और उसकी शुद्धता होती है. सोने को बड़ी आसानी के साथ अशुद्ध बनाया जा सकता है. सोने की चमक देखकर उसकी शुद्धता नहीं बताई जा सकती. सोना ज्यों-ज्यों अपनी शुद्धता खोती है, उसकी कीमत घटती जाती है. यह तो सभी जानतें हैं की सोने की शुद्धता उसमें अन्य धातुओं की मिलावट की वजह से कम  होती है. मिलावट की मात्रा जितनी ज्यादा होगी उसकी शुद्धता उतनी ही घटती जाएगी.

चौबीस कैरेट का सोना बिलकुल सौ फीसदी शुद्ध सोना होता है. आजकल २४ कैरेट सोने के आभूषण भी बनने लगें है, परन्तु साधारणतया २२ अथवा १८ कैरेट के सोने का ही आभूषण बनाया जाता है. पहले सोने का कोई मानक नहीं था. परन्तु अब भारतीय मानक संस्थान (बी आइ एस) ने स्वर्णाभूषणों के लिए मानक निर्धारित कर दिया है. २४ कैरेट के स्वर्णाभूषणों  के लिए ९९.९%, २२ कैरेट के स्वर्णाभूषणों के लिए ९१.६% एवं १८ कैरेट के स्वर्णाभूषणों के लिए ७५% सोने की शुद्धता होनी आवश्यक है.

सोने की शुद्धता की पहचान के लिए हालमार्क किये जातें है. मगर इस हालमार्क के ऊपर भरोसा करना, महंगा भी साबित हो सकता है. जिन प्रयोगशालाओं में हालमार्क किये जाते है, उनमे अधिकांश की कार्यप्रणाली वैज्ञानिक नियमों के अनुसार नहीं चल रही है और ऊपर से गोरखधंधा अलग से चल रहा है.

सोनें की जाँच के लिए उपकरण विदेशों से मंगाए जातें हैं और ये उपकरण बड़े ही महगे और जटिल एवं संवेदनशील shoftwere पर आधारित होतें है. इसके बावजूद इन उपकरणों के माध्यम से प्राप्त गणनाओं की प्रमाणिकता हमेशा ही शक के दायरे में रहती है. सोनें के शुद्धता की जाँच के लिए सबसे प्रमाणिक विधि उसकी अग्निपरीक्षा ही मानी जाती है. जाँच की यह वैज्ञानिक प्रक्रिया मंहगी और लम्बी होती है, जिसे पूरा करने में  आठ से दस  घंटे का समय लगता है. मगर  अग्निपरीक्षा विधि से जाँच किये गए सोने की शुद्धता हमेशा हीं प्रमाणिक और अपरिवर्तनीय होती है.

बाजार में अब कई ऐसे मिश्रधातु आ गए हैं जिसकी चमक और टिकाऊ-पन सोने जैसी नहीं तो उससे मिलती जुलती अवश्य  होती है. स्वर्णाभूषणों   में ऐसे भी धातुओं का उपयोग किया जा रहा है जिसकी चमक बिलकुल हीं सोने जैसी हीं होती है और लम्बे समय तक टिकाऊ भी होती है. आजकल तो स्वर्णाभूषणों के बाजार में  धड़ल्ले  से इन धातुओं का उपयोग हो रहा है और इनको असली सोना बोलकर बेचा जा रहा है.

सोने की कीमत आज आसमान छूती जा रही है. सोने की कीमत में यह उछाल भारतीय कारकों की वजह से नहीं हो रहा है. अंतरास्ट्रीय विनिवेश एवं मुद्रे की गिरती कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाये गए कदमों की वजह से सोने की कीमत ऊपर जा रही है.  एक समय आयेगा जब यह २० हजार प्रति दस ग्राम पर स्थिर हो जायेगा और बहुत दिनों तक पुनः स्थिर रहेगा.

विकसित देशों में आई आर्थिक मंदी और कई बैंकों की दिवालियेपन की वजह से निवेशकों का रुझान सोने में ही विनिवेश करने का हो गया और सोने की मांग विश्व बाजार में बढ़ गई. जिस वजह से सोने की कीमतें आसमान छूने लगी.

सोने और चांदी की माया अभी आसमान छू रही है. इसी आसमान छुते माया की वजह से कई लोग मालामाल हो गए हैं और कई लोग मालामाल होने की जुगत में लगे है.











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