सपने सजाते रहें
जीवन में सपनों का एक अलग महत्व है। सपने जब सजतें हैं तो जीवन सजता है। सपने हीं सच बनतें है। सपनों की भी अपनी एक सच्चाई होती है। हकीकत के आधार पर बुने गए सपने, एक ना एक दिन हकीकत में जरुर बदल जातें है। सपनों का अधार अगर सच्चा है तो सपने भी अवश्य सच होतें हैं।
सोते में देखे सपनों का आधार अवश्य होता है, परन्तु उसका हकीकत से कोई लेना या देना नहीं होता। जागते में देखे गए सपनों को अगर हमने सजाना सीख लिया तो सपने अवश्य हीं सच होंगे। केवल सपने बुनने से काम नहीं चलता, उसे सजाना होता है।
ह़र बुने हुए सपने में एक उर्जा होती है। अगर उस बुने हुए सपने को सजाया गया तो उसकी उर्जा आकर लेती है और इस श्रृष्टि की सारी नियायतें मिलकर उसे हकीकत में रूपांतरित कर देती है। अगर सपना बुनने वाले की तमाम अन्तरंग भावनाओ से निरुपित हो तो उसे सजाना आसान होता है और उसके अन्दर मौजूत उसकी उर्जा अपने रूपांतरण के लिए बेचैन हो जाती है।
इस धरती पर जो कुछ भी सच है, वह किसी ना किसी का देखा गया सपना का ही रूपांतरित रूप हीं है। आधुनिक भाषा में जिसे हम योजना, परियोजना अथवा परिकल्पना कहतें है, वे सभी सजाये गए सपनें ही तो है।
बस सपने देखते रहिये और उसे सजाते रहिये, फिर देखिये कमाल आप जो चाहतें है, वही होगा।
सपने देखने भी चाहिए और उनमें रंग भी भरने चाहिए
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मेरा कथन है कि साहित्यकार कल्पना करता है या सपने देखता है और वैज्ञानिक उसे साकार करता है। इसलिए सपने देखने पर ही दुनिया का विकास होता है। बस इतना है कि सपना भी देखें और उस अनुसार कर्म भी करें तो भाग्य आपके साथ होगा।
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