विचारों की तीव्रता
प्रत्येक विचार अपनी-अपनी तीव्रता के साथ मनुष्य के चीत्त में उत्त्पन्न होते है. विचरों की तीव्रता उसके उद्भ्व एवं चीत्त की नैश्र्गिक स्थिति के आधार पर निर्धारित होती है. विचारों के उद्भ्व का समय एवं उत्पत्ति के चित्त्मुल कारक उसकी तिव्रता के निर्माण में ऊर्जा प्रदान करतें हैं. विचरों की तिव्रता, इस ब्र्ह्माण्ड में मौजुद सारे नियमकों के चुम्बकीय उर्जा एवं विधुतीय तरंगों के प्रभाव से भी प्रभावित होतें है.
प्रत्येक विचार अपने आप में एक उर्जा लिये होता है. प्रत्येक विचार अपने अंदर मौजुद ईसी उर्जा की वजह से क्रिया में रुपंतरित होतें हैं. जिस विचार के अंदर जितनी ज्यदा ऊर्जा होती है वह विचार उतनी हीं तीव्रत्ता के साथ क्रिया में रुपंतरित होता है. विचरों के अंदर मौजुद यह ऊर्जा क्रिया के साथ भी संलग्न हो जातें है. विचारों की तीव्रत्ता से उत्त्पन्न क्रिया के अंदर मौजुद ऊर्जा उसके परिणाम को प्रभावित करती है.
प्रत्येक विचार अपनी-अपनी तीव्रता के साथ मनुष्य के चीत्त में उत्त्पन्न होते है. विचरों की तीव्रता उसके उद्भ्व एवं चीत्त की नैश्र्गिक स्थिति के आधार पर निर्धारित होती है. विचारों के उद्भ्व का समय एवं उत्पत्ति के चित्त्मुल कारक उसकी तिव्रता के निर्माण में ऊर्जा प्रदान करतें हैं. विचरों की तिव्रता, इस ब्र्ह्माण्ड में मौजुद सारे नियमकों के चुम्बकीय उर्जा एवं विधुतीय तरंगों के प्रभाव से भी प्रभावित होतें है.
प्रत्येक विचार अपने आप में एक उर्जा लिये होता है. प्रत्येक विचार अपने अंदर मौजुद ईसी उर्जा की वजह से क्रिया में रुपंतरित होतें हैं. जिस विचार के अंदर जितनी ज्यदा ऊर्जा होती है वह विचार उतनी हीं तीव्रत्ता के साथ क्रिया में रुपंतरित होता है. विचरों के अंदर मौजुद यह ऊर्जा क्रिया के साथ भी संलग्न हो जातें है. विचारों की तीव्रत्ता से उत्त्पन्न क्रिया के अंदर मौजुद ऊर्जा उसके परिणाम को प्रभावित करती है.
अच्छे विचार....कुछ लापरवाहीवश और कुछ अनभिज्ञतावश वर्तनी की गलतियां हैं...ध्यान रखिएगा
ReplyDeleteअच्छे विचार.....
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें